कर्म जो कर नहीं पाए शब्द जिन्हें कह नहीं पाए करने और कहने की आग लिए फूँक दिए ताप लिए जल गए बुझ लिए एक अजीब शै है बनारस भी लय हुए पर तह नहीं पाए।
हिंदी समय में सर्वेश सिंह की रचनाएँ